Friday, 23 December 2016

महिला-पुरूष लिंगानुपात

कमल के फूल पर बैठी सुंदर, सुकोमल और धन एश्वर्य से सुसज्जित....... धन की देवी महालक्ष्मी........... हाथ में वीणा और चेहरे पे शांति लिए........ ज्ञान की देवी महासरस्वती.......और शेर पे सवार हाथ में त्रिशूल लिए.......महिषासुर का मर्दन करती देवी महादुर्गा.....इनका नाम लेते ही सभी के सर श्रृद्धा से झुक जाते हैं.....सभी को इनकी कृपा चाहिए.....अजीब विडंबना है इस देश की हम देवी को तस्वीरों और मूर्तियों में तो श्रृद्धा भाव और सम्मान तो दे सकते हैं....... लेकिन उसी देवी स्वरूप कन्या को नहीं स्वीकार कर पाते....सभी को कंजिका पूजन के लिए कन्याएं चाहिये लेकिन वो खुद की नहीं पड़ोसी की बेटी हो तो बेहतर है.....और अब आइये सुनाते हैं औरत की कहानी आंकड़ों की जुबानी.....


वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार...... देश की मौजूदा आबादी - 1 अरब 21 करोड़ जिसमें पुरूषों की संख्या- 64 करोड़.....और महिलाओं की संख्या - 56 करोड़..... भारत का शिशु लिंगानुपात - 943/1000 पुरूष, राजस्थान का लिंगानुपात - 888\ 1000 पुरूष....देश में 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों के बीच लिंगानुपात की तुलना करने पर राजस्थान की स्थिति देश में सबसे नीचले पायदान वाले राज्य में आती है........

भारत की वर्ष 2011 की जनगणना के आकड़ों में लगातार घटता हुआ शिशु लिंग अनुपात चिंताजनक स्थिति को दर्शता है। सन् 1961 से शिशु लिंग अनुपात में निरंतर गिरावट दर्ज की गई है जो राजस्थान में सबसे अधिक है। इसमें राजस्थान के 10 जिले अलवर, भरतपुर, धौलपुर, दौसा, झंझनूं, सीकर, जयपुर, करौली, सवाईमाधोपुर और श्रीगंगानगर शामिल थे। जिनमें अभी हालही में 4 और जिलों को शामिल किया गया था आपको बता दें कि यूनीसेफ (UNICEF) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लिंग-भेद के कारण भारत की जनसंख्या से लगभग 5 करोड़ लड़कियां एवं महिलाएं गायब हैं और 10 प्रतिशत महिलाएं विश्व की जनसंख्या से लुप्त हो चुकी हैं, जो गहन चिंता का विषय है। इसके पीछे मुख्य कारण है कन्या भ्रूण हत्या। आपको बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने ये चेताया है कि भारत में बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या, जनसंख्या से जुड़े संकट उत्पन्न कर सकती है जहां समाज में कम महिलाओं की वज़ह से सेक्स से जुड़ी हिंसा एवं बाल अत्याचार के साथ-साथ पत्नी की दूसरे के साथ हिस्सेदारी में बढ़ोतरी हो सकती है। और फिर यह सामाजिक मूल्यों का पतन कर संकट की स्थिति उत्पन्न कर सकता है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि आंकडें शर्मशार करने वाले हैं........ लेकिन हकीकत में तस्वीर और भी भयानक है.....कोशिश आपको डरोने की नही बल्की बरसों से एक रिवायत बन चुकी कुंभकर्णी नींद से जगाने की है.....

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