Thursday, 22 December 2016

खिलकर कुछ तो बहार-ए- जा- फिज़ा दिखला गए,

पर हसरत उन गुच्छों पर है जो बिन खिले मुरझा गए।


जी हां वो कलियां जो जिनका अस्तित्व हमेशा के लिए शायद हो गया.....शायद मतलब वो कसक जो बस उनकी मौजूदगी की दबी सी आहट देते हैं कि हम भी थे.....या यूं कहें हो सकते थे....


शायद इस बार भी कहानी कुछ कही सुनी सी लगे......और इस आधे घंटे के शोर के बाद मन में उमड़ा सैलाब फिर से शांत हो जाए......पर फिर भी एक कोशिश करते है हकीकत से पर्दा उठाने की.....

लड़की है?..................मार दो

      ये सिर्फ शब्द ही तो थे लेकिन न जाने क्यों मेरे हृदय ने धड़कना बंद कर दिया.....
हर बार मैने ये होते देखा....... मेरा ज़िक्र आते ही समाज न जाने क्यों दो खेमों में बंट गया....एक वो जिसने समाज से जूझके चंद उभरे चेहरों को ही आधी आबादी का विकसित चेहरा मान लिया....... और एक वो जो जमीनी हकीकत को जानता है और इस झूठे सूरत-ए- हाल को दिल से स्वीकार नहीं कर पाता......जी हां वही जमीनी हकीकत जो आधे जले हुए खूबसूरत चेहरे की तरह रूह कंपा देने वाला है.....बस चंद सांसे ही तो मांगी थी मैंने अपने हिस्से में......सिर्फ इतना की अगर ये धरती हमारे अस्तित्व में भेद भाव नहीं करती तो हम और आप क्यों?.....हर कहानी जैसे शुरू से शुरू होती है....... वैसे ही मेरे यानी की पूरी आधी आबादी के दर्द का सफर अस्तितव में आने से पहले ही शुरू हो जाता है.......उस खुशी की खबर के साथ न जाने क्यों सभी के चेहरे पे चिंता और डर की लकीरें खुद-ब-खुद खींच जीतीं हैं......अब आप कहेंगे अजी जनाब.... ये तस्वीर बहुत पुरानी है....अब लद गए वो ज़माने जब बेटी को कोख में मार दिया जाता था....तो मैं आपको बता दूँ.......पर्यटन में खासी जगह रखने वाला उदयपुर जो पूरी दुनिया में झीलों की नगरी के नाम से शुमार है.....उसी उदयपुर को अपने खून से दागदार करती एक घटना सामने आयी जिसमें एक जीवन को नष्ट कर दिया गया....उसका कसूर सिर्फ इतना था की वो इस दुनिया में एक नन्ही परी की शक्ल इख्तियार करके जन्म लेने वाली थी.....वहीं राजस्थान के श्रीगंगानगर, सादुलशहर के पास एक गांव प्रतापपुरा के सामुदायिक स्वास्थय केंद्र में............ बिलखती नवजात शिशु जिसके रोने में न जाने कितना मौन...... और कितना दर्द था.......शायद ये दर्द अपनी माँ के गरम एहसास के न होने का था....और शायद खुद के लड़की होने का......डाँक्टर ने बताया कि बच्ची का वजन कम है...... जब वो लाई गई तो कीचड़ और खून में सनी हुई थी.....

पूरे देश के लगभग हर कोने से आए दिन देश की सैकड़ो बेटियाँ अस्तित्व में आने से पहले ही खत्म कर दी जातीं हैं......लेकिन यहां हम बात कर रहें हैं राजस्थान के परिपेक्ष में जहां हाल्ही में राजस्थान के प्रतापगढ जिले में सड़क पर एक भ्रूण मिला......जिसकी जांच कराने पर पता चला कि ये 5-6 महीने का भ्रूण एक कन्या का है... वहीं इसी कड़ी में तीसरी दिल दहला देने वाली घटना है राजस्थान के बूंदी जिले के नैनवा कस्बे की..नैनवा कस्बे के कनक सागर तालाब में छ माह का भ्रूण मिला है....फिर से एक नन्ही जान की किलकारियों की गूंज को लोगों ने अपनी छोटी मानसिकता के चलते दबा दिया... भ्रूण के मिलने की ख़बरें आती रहती है....लोग शोर मचाते है...लेकिन थोड़े दिन बाद ये शोर गायब हो जाता है...हमे परिवार का वंश बढ़ाने के लिए बहु तो चाहिए लेकिन अपने घर बेटी होने की सच्चाई हम स्वीकार नहीं कर पाते... कही ऐसा ना हो कि ये हकीकत हमे अंदर तक हिल दे...और ये शोर सिर्फ अपने ही निर्मम चेहरे को देखकर उठी बेचैनी लगे ..
ये सिलसिला यहीं रूक जाता तो बेहतर था....लेकिन इसी कतार में एक और कड़ी जुड़ी.....राजधानी के विद्याधर नगर में पड़ी मिली सिर्फ पांच दिन की बच्ची के रूप में......जिसने एक बार फिर नौ महीने अपने प्राणों से सींचने वाली मां की ममता को.... निर्दयी और झूठ साबित कर दिया.....हमारी फीचर रिर्पोटर ने जब उस जगह का जायज़ा लिया जहां वो बच्ची फेंक दी गई थी तो क्या तथ्य निकल कर सामने आये आईये जानते हैं.......
आज वो बच्ची जयपुर के ही शिशु बाल ग्रह में है.....समाज में बेटियों के लिए जागृति आई हो या नहीं लेकिन उसका नाम जागृति रखा गया है.....उसका भविष्य क्या होगा ये तो नहीं पता..... लेकिन हां उसके दिल ने अभी धड़कना बंद नहीं किया है....

उसके रूदन में उभरा दर्द न जाने कितने प्रश्न खुद में समेटे हुए है.......कि क्या वाकई मेरा जन्म लेना तुम्हे इतना नगवार गुज़रा....... कि तुमने रेगिस्तान की इस तपती धूप में मुझे इसलिए सड़क के किनारे डाल दिया...... ताकी मेरे इस नरम मांस को जानवर नोच नोचकर खा जाएं और किसी को मेरे अस्तित्व की भनक भी न लगे कि मैने कभी जन्म भी लिया था.....हाँ एक और प्रश्न है कि कैसे उसी आधी आबादी का हिस्सा होके भी...... इतनी बेरहम हो गई एक माँ जिसने अपने ही अस्तित्व के एक अंग को इतनी निर्ममता से अपने आँचल से झटक दिया.....  

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