Tuesday, 27 December 2016

वक्त से लड़कर रोशन किया जहाँ

 वक्त से लड़कर रोशन किया जहाँ

कहते हैं जो चिराग आंधिंयों से लड़ते हैं वहीं इतिहास के पन्नों में युगों तक जगमगाते हैं......इसी तरह कुछ चिराग हैं जिनके संर्घष की शुरूआत उनकी सांसो के साथ हुई और उनके जज़्बे ने देश के मस्तक पर अपनी कामयाबी का तिलक लगा दिया

 सबसे पहला नाम आता है हमारी केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी का.....जी हां सही सुना आपने स्मृति ईरानी जिन्होंने आज अपनी प्रतिभा से अलग-अलग क्षेत्रों में चाहे वो अदाकारी हो.....राजनीति.....या निजी जीवन सबमें एक मिसाल कायम की है.......उन्होंने ये बात कही की मैं पहली बार इस बात को जाहिर कर रही हूँ कि मेरी माँ बहादुर थी...... इसीलिए मैं आज आपके सामने खड़ी हूँ ......जब मैं पैदा हुई, किसी ने मेरी मां को इशारा किया कि बेटी तो बोझ होती है इसलिए इसे मार दो....


हो सकता है आज उसने अपनी बेहतरीन आदाकारी से तीसरा नेशनल अवार्ड अपने नाम कर लिया हो......हो सकता है आज उसकी एक झलक पाने के लिए सैकड़ों की तादात में भीड़ उमड़ पड़ती हो...लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उसे जन्म देने वाले मां- बाप ही हर वक्त उसे ये याद दिलाते थे कि वो उनकी अनचाही संतान है....जी हां कंगना रनावत जिन्होंने आज भले ही अपनी बेहतरीन अदाकारी से सभी को अपना मुरीद बना रखा हो....... लेकिन उन्होंने ये बात मानी की उनकी बहन रंगोली से पहले उनका एक भाई था जो 10 दिन ही जिंदा रहा......... लेकिन उस बच्चे की चाहत से कंगना के मां- बाप उबर नहीं पाए और जब कंगना का जन्म हुआ तो उन्हे हर वक्त ये याद दिलाया जाता था की वो उनकी अनचाही संतान है.......

 

अब बात करेंगे राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध कालबेलिया डांसर गुलाबो की...... जिसे नियति ने शायद सिर्फ इसलिए बचा लिया हो क्योंकि उसके हाथों राजस्थान के सांस्कृतिक कालबेलिया नृत्य को विश्व पटल पर चमकना था.....वरना वो तो कबकी अपनी दखियानूसी परंपराओं की भेंट चढ़कर ज़मीदोज़ की जा चुकी थी.....जी हां सही सुना आपके कानों ने जब गुलाबो का जन्म हुआ तो उसकी समुदाय की परंपरा के अनुसार उसे जन्म लेते ही महिलाओं ने उसे जमीन में जिंदा गाढ़ दिया था.....सिर्फ इसलिए क्योंकि वो लड़की थी..... लेकिन शायद उसके हिस्से में अभी बहुत कुछ ऐसा था जो उसकी सांसों के साथ खत्म नहीं होना था इसीलिए उसकी मौसी ने उस गाढ़ दी गई बच्ची को निकाल लिया.... और समाज से जूझकर इसी बच्ची ने अपने समुदाय को राजस्थान का सिर मौर बना दिया....

ये सिर्फ कहानियां नहीं बल्की समाज की वो हकीकत है जिससे हम हर बार मुंह चुरा लेते है.....इस हकीकत को अपनी दहलीज में ही दफ्न कर देना चाहते हैं.....ताकी घुटते और रुंधे हुए गले की सिसकियां कहीं हमारी काली नीयत की चुगली न कर दें.....


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